नवरात्रि में बगलामुखी माता की आराधना से होता है शत्रुओं का स्तम्भन - डॉ सुबोध मिश्र, प्राध्यापक (वाराणसी)
खगड़िया रेलवे स्टेशन पर वाराणसी (यू पी) के प्राध्यापक डॉ सुबोध मिश्र ने कहा तंत्र साधना हेतु बगलामुखी पूजन जरुरी
ANA/Arvind Verma
खगड़िया (बिहार)। जब कभी शत्रु का भय हो तो मां बगलामुखी की साधना, और आराधना आराधक के लिए फल दायी रहती है। बगलामुखी की आराधना से शत्रु का स्तम्भन भी होता है। दस महाविद्याओं में बगलामुखी का विशेष महत्व है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में भी दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। मां बगलामुखी का महत्व सभी देवी देवताओं में अति विशिष्ट है। शास्त्रों के अनुसार मां बगलामुखी की साधना, आराधना से शत्रुओं का स्तम्भन हो जाता है। माता रानी साधक को भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है। उक्त बातें, अष्टदाश भूजेश्वरी मां दुर्गा की स्थाई प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कर वापस वाराणसी(यू पी) जाने के क्रम में खगड़िया रेलवे स्टेशन विद्वान पंडित डॉ सुबोध कुमार मिश्र ने मीडिया को संबोधित करते हुए कही। आगे उन्होंने कहा वाराणसी स्टेशन से छह किलो मीटर दूर पड़ाव चौराहा पर "श्रीविद्या बगलामुखी पीठम" की स्थापना मैंने (डॉ सुबोध कुमार मिश्र) ने वर्ष 2015 ईo में की, जहान शत्रु स्तम्भिनी विद्या के रूप में माता बगला मुखी विख्यात हैं। बगलामुखी मंदिर में न्यायालय, विजय प्राप्ति, चुनाव एवं समस्त शत्रुओं के नाश के लिए इस महाविद्या का प्रयोग तांत्रिक विधि से किया जाता है। मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि मंदिर स्थापना की प्रेरणा कहां से मिली इस पर डॉ सुबोध मिश्र ने कहा जब से मैंने आंख खोला तब से माता बगलामुखी की कृपा का अनवरत अनुभव किया है। इसलिए लोगों के कल्याणनार्थ मैं ने मंदिर की स्थापना की। आगे उन्होंने कहा लगभग 5000 वर्ग फीट भूभाग में बने मंदिर की खासियत यह है कि बिना किसी से चंदा लिए भगवती के दिव्य प्रेरणा और चमत्कार से इस परिसर का निर्माण किया गया, जहां खासकर नवरात्रि में देश के कोने कोने से बगलामुखी माता के भक्त जनों का आगमन होता है, जिनकी मुरादें पूरी होती है।