भारत का यह सबसे लंबा ग्लास स्काई-वॉक लगभग 55 मीटर लंबा है और इसे कैंटिलीवर तकनीक से निर्मित किया गया है. इस संरचना की विशेषता यह है कि पुल एक तरफ से जुड़े स्ट्रक्चर के सहारे खाली हवा में आगे की ओर निकला हुआ है. कांच इस पुल का फर्श कांच का बना है. जिससे आप डर वाले अद्भुत रोमांच का आनंद ले सकते हैं. कांच की मोटी परतों से बने इस ट्रैक को वाइब्रेशन, हवा और भार परीक्षणों के बाद यात्रियों के लिए सुरक्षित माना गया है.
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में कैलासागिरी हिल पर देश का सबसे लंबा ग्लास स्काई-वॉक ब्रिज तैयार हो चुका है. विशाखापतनम में समुद्र से लगे पहाड़ी क्षेत्र में बने इस ब्रिज को राज्य के नए पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. पूर्वी तट के प्रमुख हिल-स्पॉट कैलासागिरी में अब पर्यटक समुद्र, शहर और पहाड़ों के नजदीक खड़े होकर एक अलग ऊंचाई और रोमांच का अनुभव कर सकेंगे
ब्रिज समुद्र तल से लगभग 260 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे बे ऑफ बंगाल के तट, शहर और आसपास के हरियाले पहाड़ का 360-डिग्री व्यू मिलता है. साफ मौसम में यहां से समुद्र की लहरें, बीच-लाइन, जलयान और दूर तक फैला शहर एक ही फ्रेम में दिखाई देते हैं. यह अनुभव रोमांच प्रेमियों के साथ-साथ फोटोग्राफी और ड्रोन विजुअल्स के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है. इस पुल के निर्माण पर 7 करोड़ रुपये का खर्च आया है.
पुल के डिजाइन में सुरक्षा मानकों पर खास ध्यान दिया गया है. प्रत्येक पैनल मल्टी-लेयर टेम्पर्ड ग्लास से तैयार किया गया है, जिससे यह हाई-लोड प्रेशर और स्क्रैच रेसिस्टेंस प्रूफ हो गया है. इसके पुल के प्रवेश मार्ग पर फुट-कवर और फुटफॉल मैनेजमेंट व्यवस्था भी की गई है. इन उपायों के होने से यह ब्रिज गंदगी और चोट-जोखिम से भी सेफ रहेगा.
भीड़ और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फिलहाल 20–40 लोगों के बैच में प्रवेश दिया जा रहा है. हर विज़िटर को 10–15 मिनट तक इस कांच के पुल पर चलने का मौका मिलेगा. इसके बाद उन्हें नीचे उतरना होगा, जिससे बाकी पर्यटकों को भी अवसर मिल सके. इस ग्लास ब्रिज के खुलने से आसपास के लोगों में बहुत उत्साह है.