सहरसा जिले के सराही मोहल्ला में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। बुधवार सुबह सराही मोहल्ला स्थित मोबाइल टावर के पास एक पॉलिथीन में बंद नवजात शिशु फेंका हुआ मिला। ठंड से कांपते इस नवजात को स्थानीय युवकों ने साहस दिखाते हुए अस्पताल पहुंचाया।
इस घटना ने लोगों को झकझोर दिया है और समाज में बढ़ती संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
झाड़ी से मिली मासूम जिंदगी
जानकारी के मुताबिक, बुधवार सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले स्थानीय लोगों ने झाड़ी से बच्चे के रोने की आवाज सुनी। हालांकि, कोई भी वहां जाने का साहस नहीं कर रहा था। इसी बीच शशि नामक एक युवक आगे बढ़ा और झाड़ी से पॉलिथीन निकालकर देखा तो उसमें एक नवजात लड़का था। ठंड से कांपते इस बच्चे को तुरंत कपड़े में लपेटा गया। इसके बाद शशि ने अपने मित्र दीपक कुमार, जो आयुष्मान भारत योजना में कार्यरत हैं, को सूचना दी। दीपक ने मौके पर पहुंचकर नवजात को सहरसा सदर अस्पताल के गहन नवजात शिशु केंद्र (SNCU) में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज शुरू किया गया।
मां ने ममता को दी तिलांजलि
नवजात मिलने के बाद स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर रोष और गहरी चर्चा शुरू हो गई। लोगों ने सवाल किया कि कोई मां जिसने नौ महीने तक बच्चे को गर्भ में रखा, कैसे इतनी अमानवीय हो सकती है? अगर बच्चा अनचाहा था तो उसे संबंधित संस्था को सौंपा जा सकता था। यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि बच्चा संभवतः मंगलवार देर रात को फेंका गया। बच्चे की हालत देखकर कहा जा रहा है कि उसे बिना किसी कपड़े के सिर्फ पॉलीथिन में लपेटकर छोड़ दिया गया था।
सरकार की पालना योजना की अनदेखी
लोगों ने बताया कि सरकार ने नवजातों को फेंके जाने से बचाने के लिए पालना योजना शुरू की है। सदर अस्पताल सहित अन्य स्थानों पर पालने रखे गए हैं, ताकि लोग अनचाहे नवजात को वहां छोड़ सकें। लेकिन आज तक इन पालनों का सही उपयोग नहीं हुआ है। इस घटना ने सरकार की पालना योजना और समाज की संवेदनहीनता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
अवैध नर्सिंग होम पर सवाल
स्थानीय निवासियों ने इस घटना के पीछे सराही, नया बाजार और न्यू कॉलोनी में बढ़ते अवैध नर्सिंग होम को जिम्मेदार ठहराया है। लोगों ने कहा कि इन नर्सिंग होम में प्रसव और अन्य ऑपरेशन बिना किसी रिकॉर्ड के किए जाते हैं। लोगों ने ऐसे नर्सिंग होम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय युवकों के साहस की सराहना
इस घटना में शशि और दीपक ने जो साहस और संवेदनशीलता दिखाई, उसकी हर ओर तारीफ हो रही है। जहां बाकी लोग नवजात को बचाने के लिए आगे बढ़ने से हिचकिचा रहे थे, वहीं इन दोनों ने न केवल बच्चे को बचाया, बल्कि उसे अस्पताल भी पहुंचाया।