बिहार के मधेपुरा कोर्ट ने नाबालिग से शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने के मामले में दिव्य कबीर संस्थान, साहेबगंज इटहरी के महंत सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह को उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला एडीजे-6 अमित कुमार पांडेय की अदालत ने सोमवार को सुनाया।
सत्संग के बहाने आता था महंत
आलमनगर थाना क्षेत्र की एक 16 वर्षीय पीड़िता ने जुलाई 2014 में महंत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि महंत पहली बार 2012 में पीड़िता के गांव आया और जान-पहचान के बाद हर 1-2 महीने में बसनबाड़ा कबीर मठ आने लगा। इसी दौरान शादी का प्रलोभन देकर लगातार यौन शोषण करता रहा। पीड़िता ने बताया कि महंत उसके घर आने के साथ-साथ मोबाइल पर भी बात कर बहलाता-फुसलाता रहा। गर्भवती होने पर जब उसने शादी का दबाव बनाया, तो महंत ने संपर्क तोड़ लिया और घर आना बंद कर दिया।
सात गवाहों ने दी गवाही :
जब वह मुरलीगंज स्थित संस्थान में उसे खोजने गई, तो वह वहां से फरार हो गया। स्पेशल पीपी विजय कुमार मेहता ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 7 गवाहों का बयान दर्ज कराया। सभी सबूतों और दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने महंत को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
बिहार के मधेपुरा कोर्ट ने नाबालिग से शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने के मामले में दिव्य कबीर संस्थान, साहेबगंज इटहरी के महंत सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह को उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला एडीजे-6 अमित कुमार पांडेय की अदालत ने सोमवार को सुनाया।
बिहार के मधेपुरा कोर्ट ने नाबालिग से शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने के मामले में दिव्य कबीर संस्थान, साहेबगंज इटहरी के महंत सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह को उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला एडीजे-6 अमित कुमार पांडेय की अदालत ने सोमवार को सुनाया।
सत्संग के बहाने आता था महंत
आलमनगर थाना क्षेत्र की एक 16 वर्षीय पीड़िता ने जुलाई 2014 में महंत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि महंत पहली बार 2012 में पीड़िता के गांव आया और जान-पहचान के बाद हर 1-2 महीने में बसनबाड़ा कबीर मठ आने लगा। इसी दौरान शादी का प्रलोभन देकर लगातार यौन शोषण करता रहा। पीड़िता ने बताया कि महंत उसके घर आने के साथ-साथ मोबाइल पर भी बात कर बहलाता-फुसलाता रहा। गर्भवती होने पर जब उसने शादी का दबाव बनाया, तो महंत ने संपर्क तोड़ लिया और घर आना बंद कर दिया।
सात गवाहों ने दी गवाही :
जब वह मुरलीगंज स्थित संस्थान में उसे खोजने गई, तो वह वहां से फरार हो गया। स्पेशल पीपी विजय कुमार मेहता ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 7 गवाहों का बयान दर्ज कराया। सभी सबूतों और दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने महंत को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।